चलो ढूंढते हैं
उस एक पल को
जहाँ से शुरू हुआ था विलय
हमारे मैं का
ना तो ये किसी व्यवसाय का विलयन हें
न किन्ही दो राष्ट्र का
हवा ने खुशबु को समेटा
या सुगंध समा गई सुरभि में
समर्पण मैं का था
जाने किस छोटे से पल की करामात हें ।
रब के सामने मैं खड़ा था
और खुशिया तुम्हारे लिए मांग रहा था।
Wednesday, November 11, 2009
Wednesday, June 10, 2009
आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं
आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं
बस पंख लगे हो तुम्हारी छाती पर
दोनों हाथो की जगह
अपनों का डैना हो
फिर देखो विपरीत हवाओ से
कितना आसान हैं लोहा लेना
आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं
मैं आज ही गिरा हूँ
उड़ते उड़ते
बस एक डैना बिखर गया
Monday, June 8, 2009
शून्य दोस्त mere
मैं शून्य हूँ
तुम भी शून्य हो जाओ
हम जुड़कर भी शून्य
और घटकर भी शून्य
और कोई अगर गुणा करे
तो भी सिफर शून्य
पर कोई बाँटना चाहे हमे
करना चाहे विभाजित
असंभव
हम एक दुसरे से अविभाज्य रहे
हमेशा हमेशा
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