जब भी कराहा था
तेरा मन
किसी जाने अनजाने कारण से
जब भी नम थी तेरी आँखे
मुझे अच्छी तरह से याद हैं
की मैंने सुनी थी तेरी आहट
मेरे दिल के चौखट तक
आई थी तुम
थर थर होठों से , पुकारा था तुमने मुझे
पता नही किस मजबूरी में
अब भी दूर तो हो
फासले भी हैं
बस चंद कदम
पर क्यूँ रह जाती हैं
सागर साहिल सी दूरी ये ?
Thursday, December 4, 2008
भ्रम और नवजीवन
हकीकत से रूबरू हर रोज होता हूँ
वास्तविकता का बोध हमेशा कराया
जाता हैं
दुनिया के लिहाज से बड़ा इम-प्रैक्टिकल हूँ
दिमाग द्बारा समझाया जाता हूँ।
समझाते हैं लोग।
पर नासमझ दिमाग
नासमझ लोग
भ्रम भी रिश्ते गरमाए रखते हैं
रिश्तो की ठंडी लाश
सिहरन देती हैं
और उष्ण रिश्तो का अभाष
नया जीवन
भ्रम और नवजीवन
मेरी एक नई कल्पना हैं
और वो रिश्ता
मेरी नई कविता
वास्तविकता का बोध हमेशा कराया
जाता हैं
दुनिया के लिहाज से बड़ा इम-प्रैक्टिकल हूँ
दिमाग द्बारा समझाया जाता हूँ।
समझाते हैं लोग।
पर नासमझ दिमाग
नासमझ लोग
भ्रम भी रिश्ते गरमाए रखते हैं
रिश्तो की ठंडी लाश
सिहरन देती हैं
और उष्ण रिश्तो का अभाष
नया जीवन
भ्रम और नवजीवन
मेरी एक नई कल्पना हैं
और वो रिश्ता
मेरी नई कविता
परख लो mujhe
एक सोच फ़िर से देता हूँ तुम्हे
वक्त लेना
ख़ुद को बिल्कुल एकाकी कर लेना
सोच में।
फ़िर देखना क्या कहीं मैं दीखता हूँ ?
जो रिश्ते हैं आस पास
नए पुराने
आम और khas
सभी से dur कर लेना
ख़ुद को कुछ pal के लिए
kyaa मैं दूर baitha
कहीं tumhara अपना लगता हूँ ?
याद करना मेरे मिलने के बाद के
दर्द bhare lamhe
kyaa wahan main कहीं साथ दिखता हूँ?
कितने ही नाम wale rishte हैं
कितने ही anjaan से रिश्ते हैं
kyaa किसी parakh me मैं teekta हूँ
मेरे हर सवाल का जवाब अगर हो ना
कितना अच्छा हैं
मान ही जाना सच्चा दोस्त हूँ मैं
हर सवाल का जो जवाब हो हाँ
to मुझे एकाकी कर देना
और देना थोड़ा सा साथ
चाहे अजनबी हमसफ़र की तरह।
वक्त लेना
ख़ुद को बिल्कुल एकाकी कर लेना
सोच में।
फ़िर देखना क्या कहीं मैं दीखता हूँ ?
जो रिश्ते हैं आस पास
नए पुराने
आम और khas
सभी से dur कर लेना
ख़ुद को कुछ pal के लिए
kyaa मैं दूर baitha
कहीं tumhara अपना लगता हूँ ?
याद करना मेरे मिलने के बाद के
दर्द bhare lamhe
kyaa wahan main कहीं साथ दिखता हूँ?
कितने ही नाम wale rishte हैं
कितने ही anjaan से रिश्ते हैं
kyaa किसी parakh me मैं teekta हूँ
मेरे हर सवाल का जवाब अगर हो ना
कितना अच्छा हैं
मान ही जाना सच्चा दोस्त हूँ मैं
हर सवाल का जो जवाब हो हाँ
to मुझे एकाकी कर देना
और देना थोड़ा सा साथ
चाहे अजनबी हमसफ़र की तरह।
तेरा अंदाज
कुछ भी सोचना चाहता हूँ
तो बस तेरी सोच
कुछ भी
देखना चाहता हूँ
तो तेरा चेहरा
कुछ भी सुनने लगता हूँ
तो तेरी आवाज
इतना कुछ तो हैं दुनिया में तेरे सिवा
फिर भी कुछ अच्छा लगता हैं
तो तेरा अंदाज
तो बस तेरी सोच
कुछ भी
देखना चाहता हूँ
तो तेरा चेहरा
कुछ भी सुनने लगता हूँ
तो तेरी आवाज
इतना कुछ तो हैं दुनिया में तेरे सिवा
फिर भी कुछ अच्छा लगता हैं
तो तेरा अंदाज
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