बिखर गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ
पूछ रहे हैं वो हमसे
क्या रूठ गया हूँ
मयखाने में महफ़िल
बड़ी रंगीली हैं
साकी को मालूम नहीं
"मैं" पैमाना छूट गया हूँ
बिखर गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ
एक शहर वो भी था
तनहा तनहा
एक शहर ये भी हैं
लम्हा लम्हा
सिसक रही सांसे
क्या खोया क्या पाया
क्या मालुम
लगता हैं जैसे
"मैं" शायर लुट गया हूँ
बिखर गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ
पूछ रहे हैं वो हमसे
क्या रूठ गया हूँ
मयखाने में महफ़िल
बड़ी रंगीली हैं
साकी को मालूम नहीं
"मैं" पैमाना छूट गया हूँ
बिखर गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ
एक शहर वो भी था
तनहा तनहा
एक शहर ये भी हैं
लम्हा लम्हा
सिसक रही सांसे
क्या खोया क्या पाया
क्या मालुम
लगता हैं जैसे
"मैं" शायर लुट गया हूँ
बिखर गया हूँ
जर्रा जर्रा टूट गया हूँ