Thursday, December 4, 2008

भ्रम और नवजीवन

हकीकत से रूबरू हर रोज होता हूँ
वास्तविकता का बोध हमेशा कराया
जाता हैं

दुनिया के लिहाज से बड़ा इम-प्रैक्टिकल हूँ
दिमाग द्बारा समझाया जाता हूँ।
समझाते हैं लोग।
पर नासमझ दिमाग
नासमझ लोग

भ्रम भी रिश्ते गरमाए रखते हैं
रिश्तो की ठंडी लाश
सिहरन देती हैं
और उष्ण रिश्तो का अभाष
नया जीवन

भ्रम और नवजीवन
मेरी एक नई कल्पना हैं
और वो रिश्ता
मेरी नई कविता

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