Thursday, December 4, 2008

चंद कदम

जब भी कराहा था
तेरा मन
किसी जाने अनजाने कारण से
जब भी नम थी तेरी आँखे
मुझे अच्छी तरह से याद हैं
की मैंने सुनी थी तेरी आहट
मेरे दिल के चौखट तक
आई थी तुम
थर थर होठों से , पुकारा था तुमने मुझे
पता नही किस मजबूरी में
अब भी दूर तो हो
फासले भी हैं
बस चंद कदम
पर क्यूँ रह जाती हैं
सागर साहिल सी दूरी ये ?



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