Wednesday, June 10, 2009

आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं

आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं

बस पंख लगे हो तुम्हारी छाती पर
दोनों हाथो की जगह

अपनों का डैना हो

फिर देखो विपरीत हवाओ से

कितना आसान हैं लोहा लेना

आसमान पे उड़ना बहुत आसान हैं

मैं आज ही गिरा हूँ

उड़ते उड़ते

बस एक डैना बिखर गया

7 comments:

sandhyagupta said...

Achcha likhte hain aap.Yun hi likhte rahiye.

Anonymous said...

पता नहीं क्यूं अच्छी लगी कविता....
शायद अंतिम तीन पंक्तियों की वज़ह से...

शुभकामनाएं.....

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

nice. narayan narayan

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

bahut sunder hai
sadar
praveen pathik
9971969084

उम्मीद said...

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी

somadri said...

अपनों का डैना हो

फिर देखो विपरीत हवाओ से

कितना आसान हैं लोहा लेना
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lekin apane hi to aade hate hai...

Rajesh Sharma said...

धन्यवाद आप सभी का / मार्ग दर्शन करते रहे /